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गाजा की लड़ाईः सियासत और इंसानियत

 गाजा की लड़ाईः सियासत और इंसानियत

गाजा की लड़ाईः सियासत और इंसानियत

गाजा की लड़ाई अब सियासत से कहीं ज्यादा इंसानियत पर हावी होते दिख रही है। इन्सान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है मगर भूख नहीं , ग़ाज़ा में यही हो रहा है. यहां अब हथियारो से इतर भूख जान ले रही है । जिन ट्रकों में राहत के सामान लद कर आते हैं उन पर लोग टूट पड़ते हैं, जैसे ही ट्रक पहुंचते है भूख से परेशान भीड़ ने उन्हें घेर लेती है और राशन, पानी और दवाइयों लगभग लूट ली जाती हैं। ग़ाज़ा में हालात बहुत नाज़ुक हैं

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है, 'यह समय ग़ाज़ा के लिए सबसे बुरा है.' उन्होंने इज़रायल से गुज़ारिश की कि कम से कम राहत सामग्री के ट्रकों को रोका न जाए, लेकिन उनकी बातों का असर होता नहीं दिख रहा धरातल पर स्थिति इसकी उलट है , शुक्रवार को इज़रायली हमलों में कम से कम 71 लोग मारे गए और गिनती वहीं रुकी नहीं. दर्जनों घायल, कई लापता हैं । ग़ाज़ा की गलियों में सिर्फ मलबा नहीं पड़ा, वहां आशा की और उम्मीद की कब्रें भी खुद चुकी हैं. जहां मां-बाप अपनी भूख से नहीं, अपनी बेबसी से टूट चुके हैं. इज़रायली वायुसेना ने दावा किया है कि उन्होंने आतंकवादियों के 75 से ज़्यादा ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया है, लेकिन जब अस्पताल, स्कूल और रिफ्यूजी कैम्प भी मलबे में बदल जाएं… तब यह समझ से परे हैं कि इंसानियत को कब तक यह दिन देखना पड़ेगा।

यूनाइटेड नेशन्स के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक गाजा से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर इजरायल, मिस्र और जॉर्डन के गोदामों में जरूरी खाद्य सामग्री भरी पड़ी है, लेकिन गाजा के अंदर WFP के गोदाम खाली हैं. यहां ज्यादातर बेकरियां और दान से चलने वाले किचन बंद हो चुके हैं. UN के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के डायरेक्टर एंटोनी रेनार्ड के मुताबिक हम पहले 10 लाख लोगों को खाना देते थे, अब मुश्किल से 2 लाख तक पहुंच पा रहे हैं. हालात को देखते हुए UN और यूरोपीय देशों ने इजरायल से गाजा पट्टी में भूखमरी और अकाल की स्थितियों से निपटने के लिए गाजा को खाना पहुंचाने पर लगी रोक को जल्द खत्म करने की मांग की है.।

इजरायली राजदूत से यह पूछने कि ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि गाजा में आम नागरिक को सबसे ज्‍यादा परेशानी झेलनी पड़ा रही है, कहा जा रहा है कि छोटे और बच्‍चे नवजात बच्‍चे खाना नहीं मिलने की वजह से मौत की कगार पर भी पहुंच गए हैं. तब वे कहते हैं कि जो लोग गाजा को इस स्थिति में पहुंचाने के जिम्‍मेदार हैं वो दरअसल आतंकी संगठन हैं. ये आतंकी संगठन इजरायल से किसी को बंधक नहीं बना रहे हैं बल्कि इन्‍होंने अपने ही लोगों को बंधक बनाकर रखा हुआ है. ये संगठन आम लोग के पीछे छिप रहे हैं. ये वो लोग हैं जो अंतरराष्‍ट्रीय मदद को लोगों से चोरी कर रहे हैं और उन्‍हें बेच रहे हैं. हम इस पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं. इजरायल ने पिछले 18 महीने में यह सुनिश्चित किया है गाजा की आबादी के पास पर्याप्‍त खाना हो. वे कहते हैं  जो भी खबरें आ रही हैं वो पूरी तरह से पक्षपाती हैं. बहुत सी ऐसी रिपोर्ट्स हैं. अगर गाजा में बच्‍चे उस स्थिति में होते जैसा बताया जा रहा है तो फिर हमारे पास एकदम वैसी ही तस्‍वीरें होती जैसी हमने सूडान की देखी थी जब वहां पर बच्‍चों के भूख से मरने की बातें कही गई थीं. उन्‍होंने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद से 98 हजार फूड ट्रक गाजा स्‍ट्रीट में दाखिल हुए हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने बताया कि अब हमने एक फैसला किया था कि हम इस स्थिति को बदलेंगे और हमास की क्षमता को खत्‍म करना चाहते हैं. अगले रविवार से हम एक नया सिस्‍टम शुरू करने वाले हैं. इसके तहत सुरक्षित इलाकों में इजरायली सिक्‍योरिटी फोर्सेज होंगी और प्राइवेट कंपनियां सीधे लोगों को खाना डिलीवर करेंगी ताकि हमास इसे छीन न सके. 

कुल मिलाकर देखें तो इंसानियत की मांग जंग रोकने की है और सियासत शायद उससे इतर सोचती है ।

( आलेख विभिन्न समाचार स्रोतो से प्राप्त जानकारी के आधार पर)

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